क्या अल-मसीह मुरदों में से ज़िंदा हुए?
हुज़ूर की सलीबी मौत यक़ीनी है।
हुज़ूर को पहले से मौत का इल्म था।
हुज़ूर ने अपनी मरज़ी से अपनी जान दी।
तशरीफ़ लाने का मक़सद फ़िद्या देना था।
हुज़ूर का दुबारा ज़िंदा होना यक़ीनी है।
हुज़ूर की अपनी पेशगोई
पहले फ़रिश्तों का एलान
मुख़्तलिफ़ लोगों से मुलाक़ात
हुज़ूर जिस्मानी तौर पर ज़िंदा हुए।
अगर हुज़ूर की लाश उठाई गई होती तो।
मरने और दुबारा ज़िंदा होने का मक़सद
नजात कैसे हासिल करें?