चश्मा मीडिया का क्या मक़्सद है?
यह कि ईसा अल-मसीह के बारे में उर्दू किताबें उर्दू और हिंदी के हुरूफ़ दोनों में पेश करे। आला मेयार की तमाम किताबों को मुफ़्त में डौनलोड और तक़्सीम करने की इजाज़त है।
लफ़्ज़ अल्लाह क्यों इस्तेमाल हुआ है?
कुछ लोग ख़ासकर बर्रे-सग़ीर में यह बात पसंद नहीं करते कि इस वेबसाइट में लफ़्ज़ अल्लाह इस्तेमाल हुआ है। वह समझते हैं कि सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ुदा ही इस्तेमाल होना चाहिए।
इस ख़याल को सरासर रद करना है। पहले, अंदाज़ा लगाया गया है कि आमदे-इस्लाम से पहले ही अरबी ईसाई यही लफ़्ज़ इस्तेमाल करते थे। क़दीम मुसलिम मुअर्रिख़ इसकी तसदीक़ करते हैं। नीज़, इंजील के सबसे क़दीम तरजुमों में अल्लाह ही इस्तेमाल हुआ है। हक़ीक़त यह है कि लफ़्ज़ अल्लाह अलाहा से बहुत मुताबिक़त रखता है, जो अरामी बोलनेवाले ईसाइयों में आज तक रायज है। इन्हीं अरामी ईसाइयों ने पंतिकुस्त के ऐन बाद ख़ुशख़बरी अरबों में फैलाई।
सबसे बढ़कर यह कि अरबी ईमानदार हज़ारों साल से हर जगह अल्लाह इस्तेमाल करते आए हैं। यही लफ़्ज़ मंज़ूरशुदा अरबी तरजुमों में मुस्तामल है। लिहाज़ा जब कुछ लोग शोर मचाते हैं कि अल्लाह सिर्फ़ इस्लाम का ख़ुदा है तो वह अपने अरबी बहन-भाइयों की ख़ास बेइज़्ज़ती करते हैं।
अगर हम लफ़्ज़ ख़ुदा पर ग़ौर करें तो यह बुतपरस्त फ़ारसी माहौल में पैदा हुआ। और अगर अँग्रेज़ी लफ़्ज़ God पर ध्यान दें तो यह भी बुतपरस्त माहौल में वुजूद में आया। अगर हम लफ़्ज़ अल्लाह मना करें तो God और ख़ुदा के अलफ़ाज़ को भी मना करना चाहिए। तब हमें सिर्फ़ इबरानी तौरेत के अलफ़ाज़ इलोहीम और यहविह और यूनानी इंजील का लफ़्ज़ थेओस इस्तेमाल करना चाहिए।
जो उर्दू आज रायज है वही इस वेबसाइट में इस्तेमाल हुई है। नतीजे में दोनों अलफ़ाज़ अल्लाह और ख़ुदा इस्तेमाल हुए हैं।